मां दुर्गा की भेंट______________मन उपवन के फूल माँ तुमको चढ़ाऊँ कैसेहमतो पहाड़ों की गुफ़ाओं में तुमको ही ढूँढा करते हैंहो माँ तुमको ही ढूँढा करते हैंकहाँ छुप गई है मैया हमारी,कहाँ खोगई है माँ ममता तुम्हारीचैन नहीं बैचैन मेरा मन में लगन है कि दर्शन हो तेराढूँढूँ कहाँ आजा तू माँ हमतो पहाड़ों की गुफ़ाओं मेंतुमही को ढूँढा करते हैंकरदो माँ पूरी इच्छा हमारी,सदियों से रोए माँ अँखियाँ हमारीआजा तू माँ ढूँढूँ कहाँ । हम तो पहाड़ों की ……………टेढ़ी डगर है माँ लम्बा सफ़र हैतेरा हाथ सर पे माँ हमें क्या फ़िकर हैआजा तू माँ ढूँढूँ कहाँ हमतो पहाड़ों की गुफ़ाओं मेंतुमही को ढूँढा करते हैं हो माँ तुमही को ढूँढा करते हैं*********************************************माता की भेंटमाँ मेरी विपदा दूर करो, माँ मेरी विपदा दूर करोतेरी शरण में अाया हूँ , आकर मेरे कष्ट हरोतू ही अम्बे काली हैदुखड़े हरने वाली हैचरण पड़े की लाज रखो माँ मेरी विपदा दूर करोभक्तो ने तुझे पुकारा हैतूने दिया सहारा हैविनती पे मेरी ध्यान धरो माँ मेरी विपदा दूर करोशरण तुम्हारी आये हैइस जग के ठुकराये हैपाप ताप सन्ताप हरो माँ मेरी विपदा दूर करो********************************************* By वनिता कासनियां पंजाब शंकर बने भरतार, भरतार अम्बे रानी ।देसरा सुहाग माता, सीताजी को देना ।राम बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।तीसरा सुहाग माता लक्ष्मी को देना ।विष्णु बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।।चौथा सुहाग माता गायत्री को देना ।ब्रहृ बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।।पाँचवा सुहाग माता राधा को देना ।कृष्ण बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।।छटवां सुहाग माता अनुसुइया को देना ।ऐसा सुहाग माता हमको भी देना ।फूले-फले परिवार-परिवार अम्बे रानी||*********************************************हे माँ मुझको ऐसा घर दे_______________________हे माँ मुझको ऐसा घर दे, जिसमे तुम्हारा मंदिर हो,ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो।हे माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँजय जय माँ, जय जय माँइक कमरा जिसमे तुम्हारा आसन माता सजा रहे,हर पल हर छिन भक्तो का वहां आना जान लगा रहे।छोटे बड़े का माँ उस घर में एक सामान ही आदर हो,ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो॥इस घर से कोई भी खाली कभी सवाली जाए ना,चैन ना पाऊं तब तक दाती जब तक चैन वो पाए ना।मुझको दो वरदान दया का, तुम तो दया का सागर हो,ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो॥
मां दुर्गा की भेंट
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मन उपवन के फूल माँ तुमको चढ़ाऊँ कैसे
हमतो पहाड़ों की गुफ़ाओं में तुमको ही ढूँढा करते हैं
हो माँ तुमको ही ढूँढा करते हैं
कहाँ छुप गई है मैया हमारी,कहाँ खोगई है माँ ममता तुम्हारी
चैन नहीं बैचैन मेरा मन में लगन है कि दर्शन हो तेरा
ढूँढूँ कहाँ आजा तू माँ हमतो पहाड़ों की गुफ़ाओं में
तुमही को ढूँढा करते हैं
करदो माँ पूरी इच्छा हमारी,सदियों से रोए माँ अँखियाँ हमारी
आजा तू माँ ढूँढूँ कहाँ । हम तो पहाड़ों की ……………
टेढ़ी डगर है माँ लम्बा सफ़र है
तेरा हाथ सर पे माँ हमें क्या फ़िकर है
आजा तू माँ ढूँढूँ कहाँ हमतो पहाड़ों की गुफ़ाओं में
तुमही को ढूँढा करते हैं हो माँ तुमही को ढूँढा करते हैं
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माता की भेंट
माँ मेरी विपदा दूर करो, माँ मेरी विपदा दूर करो
तेरी शरण में अाया हूँ , आकर मेरे कष्ट हरो
तू ही अम्बे काली है
दुखड़े हरने वाली है
चरण पड़े की लाज रखो माँ मेरी विपदा दूर करो
भक्तो ने तुझे पुकारा है
तूने दिया सहारा है
विनती पे मेरी ध्यान धरो माँ मेरी विपदा दूर करो
शरण तुम्हारी आये है
इस जग के ठुकराये है
पाप ताप सन्ताप हरो माँ मेरी विपदा दूर करो
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हमतो पहाड़ों की गुफ़ाओं में तुमको ही ढूँढा करते हैं
हो माँ तुमको ही ढूँढा करते हैं
कहाँ छुप गई है मैया हमारी,कहाँ खोगई है माँ ममता तुम्हारी
चैन नहीं बैचैन मेरा मन में लगन है कि दर्शन हो तेरा
ढूँढूँ कहाँ आजा तू माँ हमतो पहाड़ों की गुफ़ाओं में
तुमही को ढूँढा करते हैं
करदो माँ पूरी इच्छा हमारी,सदियों से रोए माँ अँखियाँ हमारी
आजा तू माँ ढूँढूँ कहाँ । हम तो पहाड़ों की ……………
टेढ़ी डगर है माँ लम्बा सफ़र है
तेरा हाथ सर पे माँ हमें क्या फ़िकर है
आजा तू माँ ढूँढूँ कहाँ हमतो पहाड़ों की गुफ़ाओं में
तुमही को ढूँढा करते हैं हो माँ तुमही को ढूँढा करते हैं
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माता की भेंट
माँ मेरी विपदा दूर करो, माँ मेरी विपदा दूर करो
तेरी शरण में अाया हूँ , आकर मेरे कष्ट हरो
तू ही अम्बे काली है
दुखड़े हरने वाली है
चरण पड़े की लाज रखो माँ मेरी विपदा दूर करो
भक्तो ने तुझे पुकारा है
तूने दिया सहारा है
विनती पे मेरी ध्यान धरो माँ मेरी विपदा दूर करो
शरण तुम्हारी आये है
इस जग के ठुकराये है
पाप ताप सन्ताप हरो माँ मेरी विपदा दूर करो
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By वनिता कासनियां पंजाब
शंकर बने भरतार, भरतार अम्बे रानी ।
देसरा सुहाग माता, सीताजी को देना ।
राम बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।
तीसरा सुहाग माता लक्ष्मी को देना ।
विष्णु बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।।
चौथा सुहाग माता गायत्री को देना ।
ब्रहृ बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।।
पाँचवा सुहाग माता राधा को देना ।
कृष्ण बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।।
छटवां सुहाग माता अनुसुइया को देना ।
ऐसा सुहाग माता हमको भी देना ।
फूले-फले परिवार-परिवार अम्बे रानी||
शंकर बने भरतार, भरतार अम्बे रानी ।
देसरा सुहाग माता, सीताजी को देना ।
राम बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।
तीसरा सुहाग माता लक्ष्मी को देना ।
विष्णु बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।।
चौथा सुहाग माता गायत्री को देना ।
ब्रहृ बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।।
पाँचवा सुहाग माता राधा को देना ।
कृष्ण बने भरतार-भरतार अम्बे रानी ।।
छटवां सुहाग माता अनुसुइया को देना ।
ऐसा सुहाग माता हमको भी देना ।
फूले-फले परिवार-परिवार अम्बे रानी||
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हे माँ मुझको ऐसा घर दे
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हे माँ मुझको ऐसा घर दे, जिसमे तुम्हारा मंदिर हो,
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो।
हे माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ
जय जय माँ, जय जय माँ
इक कमरा जिसमे तुम्हारा आसन माता सजा रहे,
हर पल हर छिन भक्तो का वहां आना जान लगा रहे।
छोटे बड़े का माँ उस घर में एक सामान ही आदर हो,
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो॥
इस घर से कोई भी खाली कभी सवाली जाए ना,
चैन ना पाऊं तब तक दाती जब तक चैन वो पाए ना।
मुझको दो वरदान दया का, तुम तो दया का सागर हो,
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो॥
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