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"दृढ़ विश्वास"By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब मध्यप्रदेश के एक गाँव में चतुर्भुज भगवान का मन्दिर है। महाराजजी का अपने गुरुदेव के साथ वहाँ जाना होता था। वहाँ पूर्ण शौचाचार पूर्वक भगवान् की सेवा-पूजा होती है। उस मन्दिर के पुजारी की वृद्धा माताजी, जो सेवा-पूजा में सहयोगिनी थीं, एक बार अँधेरे में गिर गयीं और उनका कूल्हा टूट गया। उन्हें ठाकुरजी की सेवा न कर पाने का बड़ा क्लेश रहता था और वे उन्हें कठोर शब्दों में उलाहना देती रहती थीं। एक दिन वे वृद्ध माताजी अत्यन्त सबेरे-सबेरे घिसटती हुईं किसी तरह मन्दिर तक पहुँच गयीं, गर्भ गृह का ताला खोला और अन्दर से बन्द कर दिया। इधर उनके पुत्र पुजारीजी जब नित्य की तरह मन्दिर पहुँचे तो गर्भगृह को अन्दर से बन्द देखकर चोरी आदि की आशंका करने लगे। दरवाजा पीटने पर अन्दर से वृद्धा माताजी ने पुकारकर कहा, ठहरो खोलती हूँ और ऐसा कहकर वे सामान्य स्वस्थ रूप से चलकर दरवाजे तक आयीं और दरवाजा खोल दिया। उन्हें टूटे कूल्हे की पीड़ा से मुक्त देखकर सब आश्चर्यचकित थे। पूछने पर उन्होंने अपनी सहज ग्रामीण भाषा में बताया कि मैं आज चतुर्भुज भगवान् से लड़ाई करने आयी कि इन्होंने मेरा कूल्हा क्यों तोड़ दिया ? मैंने इनको कह दिया कि इसे ठीक कर दो, नहीं तो मैं तुम्हारा कूल्हा तोड़ दूँगी। मैंने चन्दन वाला चकला उठाया भी था, तभी उन्होंने मेरी कमर पर हाथ फेरकर कूल्हा जोड़ दिया। मैं चंगी हो गयी। इस प्रसंग के सम्बन्ध में पूछने पर भक्तमाली जी महाराज ने बताया कि हम लोग प्रायः भगवान् की मूर्ति में पाषाण अथवा काष्ठबुद्धि नहीं छोड़ पाते। उस वृद्धा माताजी की उस मूर्ति में दृढ़ भगवद्बुद्धि थी, इसलिये यह साक्षात् कृपा-परिणाम हुआ। बाल वनिता महिला आश्रम,* ----------:::×:::---------- "जय जय श्री राधे"*******************************************

 "दृढ़ विश्वास"
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब

          मध्यप्रदेश के एक गाँव में चतुर्भुज भगवान का मन्दिर है। महाराजजी का अपने गुरुदेव के साथ वहाँ जाना होता था। वहाँ पूर्ण शौचाचार पूर्वक भगवान् की सेवा-पूजा होती है। उस मन्दिर के पुजारी की वृद्धा माताजी, जो सेवा-पूजा में सहयोगिनी थीं, एक बार अँधेरे में गिर गयीं और उनका कूल्हा टूट गया। उन्हें ठाकुरजी की सेवा न कर पाने का बड़ा क्लेश रहता था और वे उन्हें कठोर शब्दों में उलाहना देती रहती थीं। 
          एक दिन वे वृद्ध माताजी अत्यन्त सबेरे-सबेरे घिसटती हुईं किसी तरह मन्दिर तक पहुँच गयीं, गर्भ गृह का ताला खोला और अन्दर से बन्द कर दिया। इधर उनके पुत्र पुजारीजी जब नित्य की तरह मन्दिर पहुँचे तो गर्भगृह को अन्दर से बन्द देखकर चोरी आदि की आशंका करने लगे। दरवाजा पीटने पर अन्दर से वृद्धा माताजी ने पुकारकर कहा, ठहरो खोलती हूँ और ऐसा कहकर वे सामान्य स्वस्थ रूप से चलकर दरवाजे तक आयीं और दरवाजा खोल दिया। उन्हें टूटे कूल्हे की पीड़ा से मुक्त देखकर सब आश्चर्यचकित थे। 
          पूछने पर उन्होंने अपनी सहज ग्रामीण भाषा में बताया कि मैं आज चतुर्भुज भगवान् से लड़ाई करने आयी कि इन्होंने मेरा कूल्हा क्यों तोड़ दिया ? मैंने इनको कह दिया कि इसे ठीक कर दो, नहीं तो मैं तुम्हारा कूल्हा तोड़ दूँगी। मैंने चन्दन वाला चकला उठाया भी था, तभी उन्होंने मेरी कमर पर हाथ फेरकर कूल्हा जोड़ दिया। मैं चंगी हो गयी। 
          इस प्रसंग के सम्बन्ध में पूछने पर भक्तमाली जी महाराज ने बताया कि हम लोग प्रायः भगवान् की मूर्ति में पाषाण अथवा काष्ठबुद्धि नहीं छोड़ पाते। उस वृद्धा माताजी की उस मूर्ति में दृढ़ भगवद्बुद्धि थी, इसलिये यह साक्षात् कृपा-परिणाम हुआ।
  बाल वनिता महिला आश्रम,* ----------:::×:::----------
                                

                           "जय जय श्री राधे"
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BABA KHETR  PAL वनिता कासनियां पंजाब द्वारा बाबा खेतरपाल मन्दिर-रावतसर Hindi बाबा खेतरपाल मन्दिर-रावतसर बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम राजस्थान के जिला हनुमानगढ के रावतसर तहसील मे मेगा हाईवे हनुमानगढ रोड़ पर स्थित बाबा खेतरपाल मन्दिर है। धर्म नगरी के नाम से मशहूर रावतसर कस्बे मे यूँ तो कई मन्दिर व देव स्थान है लेकिन बाबा खेतरपाल मन्दिर की आस्था भारतवर्ष के कोने कोने मे फैली हुई है। दूर दराज से श्रद्धालु बाबा खेतरपाल जी के धोक लगा कर अपनी मन्नते पूरी करने के लिए आते है। अपनी मनोकामना पूरी होने पर लडडू,बतासे,तैल,सिन्दूर आदि का प्रसाद चढाते है, तो कोई उबले चने (बाकळे) व जीवित बकरे जिसे अमर बकरे के नाम से जाना जाता है को भी चढाते है। इस मन्दिर मे भारी संख्या मे आने वाले श्रद्धालुओ के लिए रहने ठहरने आदि का पूरा प्रबन्ध मन्दिर निर्माण कमेटी द्वारा किया जाता हैं। पता: बाबा खेतरपाल मन्दिर, हनुमानगढ-सरदार शहर रोड़, रावतसर, राजस्थान-335524 कैसे पहुँचे : रावतसर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। राज्य द्वारा स्वचलित बसें और निजी टैक्सियां हैं। सभी बजटों के अनुरूप परिवहन आसानी से ...