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अप्रैल, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अगर किसी को ईश्वर पर पूर्ण विश्वास हो तो ये हकीकत है और न हो तो ये उसके लिए फसाना है.कर्ज से मुक्ति का कुछ सरल और ज्योतिष उपाय क्या हैं?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबहमारे शास्त्रो मे ऋण मुक्ति के अनेकानेक उपाय विधियो का उल्लेख किया गया है जिसमे से एक अत्यंत शीघ्र प्रभावकारी स्त्रोत जो मुझे श्री गुरु मुख से प्राप्त हुआ का उल्लेख रूद्रयामल तंन्त्र मे किया गया है जो कि इसप्रकार से है ।बाल वनिता महिला आश्रमविधि- शुक्ल पक्ष के किसी बुधवार को श्री गणेश जी के प्रतिरूप को वाजोट पर लाल रंग के आसन पर स्थापित कर विधिवत पूजन कर लडडू का भोग अर्पित करे के बाद उत्तराभिमुख होकर " ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट् " का एक माला ( 108 बार ) जप करे के बाद निम्नवत स्त्रोत का 11 बार पाठ नित्य नियत समय पर करे -अथ ऋणमुक्तिगणेश स्त्रोत्अस्य श्री ऋण विमोचन महागणपति स्त्रोत मंत्रस्य शुक्राचार्य ऋषिः , ऋण विमोचन महागणपति र्देवता , अनुष्टुप् छन्दः, ऋण विमोचन महागणपति प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।ॐ स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलम् ।षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये । ।महागणपतिं वन्दे महासेतुं महाबलम् ।एकमेवाद्वितीयं तु नमामि ऋणमुक्तिये । ।एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकं ब्रह्म सनातनम् ।महाविध्नहरं देवं नमामि ऋणमुक्तिये । ।शुक्लाम्बरं शुक्लवर्ण शुक्लगन्धानुलेपनम् ।सर्वशुक्लमयं देवं नमामि ऋणमुक्तिये । ।रक्ताम्बरं रक्तवर्ण रक्तगन्धानुलेपनम् ।रक्तपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तिये । ।कृष्णाम्बरं कृष्णवर्ण कृष्णगन्धानुलेपनम् ।कृष्णयज्ञोपवीतं च नमामि ऋणमुक्तिये ।।पीताम्बरं पीतवर्ण पीतगन्धानुलेपनम् ।पीतपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तिये ।।सर्वात्मकं सर्ववर्ण सर्वगन्धानुलेपनम् ।सर्वपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तिये । ।एतद् ऋणहरं स्त्रोतं त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।षणमासाभ्यन्तरे तस्य ऋणच्छेदो न संशयः । ।सहस्त्रदशकं कृत्वा ऋणमुक्तो धनी भवेत् । ।अन्त मे एक माला "ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हूँ नमः फट् " का जप करने के बाद श्री गणेश जी क्षमा प्रार्थना करने से शीघ्र ऋणमुक्ति प्राप्त होती है अद्वितीय एवं विलक्षण स्त्रोत है जो शीघ्रता फल प्रदान करने वाला है ।अत्यंत उपयोगी महत्वपूर्ण प्रश्न करने के लिए आपका ह्दय से आभार श्री गणेश ऋद्धि सिद्धी सहित सभी को ऋण से मुक्ति प्रदान करे साथ ही सभी कामनाओ को पूर्ण करे ऐसी मंगल कामना के साथ सभी पाठको का ह्दय से वंदन।मूल स्रोत- श्री गुरु कृपाइमेज स्रोत गूगल

अगर किसी को ईश्वर पर पूर्ण विश्वास हो तो ये हकीकत है और न हो तो ये उसके लिए फसाना है. कर्ज से मुक्ति का कुछ सरल और ज्योतिष उपाय क्या हैं? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब हमारे शास्त्रो मे ऋण मुक्ति के अनेकानेक उपाय विधियो का उल्लेख किया गया है जिसमे से एक अत्यंत शीघ्र प्रभावकारी स्त्रोत जो मुझे श्री गुरु मुख से प्राप्त हुआ का उल्लेख रूद्रयामल तंन्त्र मे किया गया है जो कि इसप्रकार से है । बाल वनिता महिला आश्रम विधि- शुक्ल पक्ष के किसी बुधवार को श्री गणेश जी के प्रतिरूप को वाजोट पर लाल रंग के आसन पर स्थापित कर विधिवत पूजन कर लडडू का भोग अर्पित करे के बाद उत्तराभिमुख होकर " ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट् " का एक माला ( 108 बार ) जप करे के बाद निम्नवत स्त्रोत का 11 बार पाठ नित्य नियत समय पर करे - अथ ऋणमुक्तिगणेश स्त्रोत् अस्य श्री ऋण विमोचन महागणपति स्त्रोत मंत्रस्य शुक्राचार्य ऋषिः , ऋण विमोचन महागणपति र्देवता , अनुष्टुप् छन्दः, ऋण विमोचन महागणपति प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः । ॐ स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलम् । षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये । । महागण...

Who was the least ranked warrior of Mahabharata?By philanthropist Vanita Kasani Punjab4There are many warriors in the Mahabharata that have not been described, but I will describe them.Bhagadatta4Eccentricity

महाभारत का सबसे कम आँका जाने वाला योद्धा कौन था? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब महाभारत में कई ऐसे योद्धा है जिनका वर्णन नहीं किया है पर मैं उन योद्धा का वर्णन करूंगा। भागदत्त- पागज्योतिष का राजा नरकासुर का पुत्र भागदत को अर्जुन भीम सातकि एक साथ हरा नहीं पाये थे यह युद्ध में इन्द्र के समान योद्धा था । अर्जुन ने इनका वध छल से किया राजसूय यज्ञ में भी अर्जुन इनको हरा नहीं पाते थे तो इन्द ने सुलह कराई और इन्हीं के कारण अर्जुन का दिग्विजय विफल हुआ। कृतवर्मा- भगवान कृष्ण के भक्त कृतवर्मा ने महाभारत युद्ध में चार पांडव और उनके बेटे को हराया । ये भगवान कृष्ण की नारायणी सेना का सेनापति था और सातकि से इनका बैर था और उसको हर बार हराया पर वह हारने पर रण छोड़ कर पलायन कर जाता इस कारण वह बच गया महाभारत युद्ध में। ये अर्जुन को भी परास्त कर देते अगर भगवान कृष्ण अर्जुन के सारथी न होते क्योंकि ये भगवान कृष्ण का सम्मान करते थे। भूरिश्रवा- इन्द्र के बराबर का योद्धा भूरिश्रवा ने महाभारत युद्ध में रणछोड सातकि को कई बार हराया पर वह युद्ध छोड़कर भाग खड़े हुए जब एक बार सातकि को मारने वाले थे तभी अर्जुन ने का...

What are the best rare natural events on earth?By philanthropist Vanita Kasani PunjabA turtle riding a jellyfish.4Hyperion, the tallest tree in the world. It is 379 feet long (116 m)

पृथ्वी पर होने वाली सबसे अच्छी दुर्लभ प्राकृतिक घटनाएं क्या हैं? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जेलीफ़िश की सवारी करने वाला एक कछुआ। हाइपरियन, दुनिया का सबसे लंबा पेड़। यह 379 फीट लंबा (116 मीटर) और लगभग 700-800 साल पुराना है। फुकैंग उल्कापिंड। माना जाता है कि यह लगभग 4.5 बिलियन वर्ष पुराना है। अंतरिक्ष से ऐसा दिखता है सूर्य ग्रहण। मोटे काले धुएं में से पक्षी अपना रास्ता खोजते हुवे। जापान के क्योटो में एक मंदिर, जो बर्फ से छिपा है। पृथ्वी की सतह पर बादलों द्वारा हजारों मील लंबी छाया। पिघला हुआ लावा और उस पर कयाकिंग करते हुवे। ओरियन नेबुला की उच्चतम रिज़ॉल्यूशन की तस्वीरें एक दूरबीन द्वारा ली गयी। एक फायर ओपल - यह वास्तव में एक चट्टान के अंदर सूर्यास्त जैसा दिखता है! थॉर का वेल, ओरेगन। जिसे कालकोठरी के द्वार के रूप में भी जाना जाता है। ' सूरज, पराबैंगनी के रूप में ली गयी तस्वीर। वज्रपात का प्रकोप। एक मानव आंख की तस्वीर। यहाँ हमे आईरिस की संरचनाओं का उल्लेखनीय विस्तार से पता चलता है। स्विट्जरलैंड में एक जमे हुए तालाब। एक भिक्षु के पैरों के निशान फर्श पर जब वह कई साल लगातार रोज उसी ...

नवशक्ति का चौथे स्वरूप कूष्माण्डानवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन 'अदाहत' चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए।By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबकूष्मांडा - नवदुर्गाओं में चतुर्थजब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। माँ की आठ भुजाएँ हैं। अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है।श्लोकसुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च | दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ||महिमामाँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।बाल वनिता महिला आश्रमविधि-विधान से माँ के भक्ति-मार्ग पर कुछ ही कदम आगे बढ़ने पर भक्त साधक को उनकी कृपा का सूक्ष्म अनुभव होने लगता है। यह दुःख स्वरूप संसार उसके लिए अत्यंत सुखद और सुगम बन जाता है। माँ की उपासना मनुष्य को सहज भाव से भवसागर से पार उतारने के लिए सर्वाधिक सुगम और श्रेयस्कर मार्ग है।माँ कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है। अतः अपनी लौकिक, पारलौकिक उन्नति चाहने वालों को इनकी उपासना में सदैव तत्पर रहना चाहिए।उपासनाचतुर्थी के दिन माँ कूष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है।प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में चतुर्थ दिन इसका जाप करना चाहिए।या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।अपनी मंद, हल्की हँसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी माँ कूष्माण्डा कहलाती हैं।

नवशक्ति का चौथे स्वरूप कूष्माण्डा नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन 'अदाहत' चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब कूष्मांडा - नवदुर्गाओं में चतुर्थ जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं। इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। माँ की आठ भुजाएँ हैं। अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपम...

जानिये माँ शेर पर ही क्यों विराजमान होती है? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबजानिये माँ शेर पर ही क्यों विराजमान होती है?भक्तो की रक्षा करने एवं दुष्टो का विनाश करने के लिए माँ दुर्गा शेर पर विराजमान रहती है। माँ दुर्गा बुराइयो पर अच्छाई का प्रतीक है। शेर उग्रता तथा हिंसक प्रवर्ति का प्रतीक है । माँ दुर्गा सिंह पर सवार है जिसका अर्थ है उग्र और हिंसक प्रवर्तियों पर विजय प्राप्त करना ही शक्ति है।अधर्म पर नियंत्रण कर जब हम धर्म की राह पर चलते है तब भगवान् को पाना भी आसान हो जाता है। परमात्मा की शक्ति का प्रतीक देवी है। देवी की शक्ति के बिना तो भगवान् भी अधूरे है। बाल वनिता महिला आश्रमधार्मिक कथाएंइस कथा के अनुसार एक बार माँ पार्वती ने भगवान् शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की । जिसके कारण माँ का रंग भी काला हो गया। यह तपस्या सफल हुई और माँ पार्वती ने भगवान् शिव को पति के रूप में प्राप्त किया ।एक दिन कैलाश पर्वत पर बैठे हुए भगवान् शिव ने पार्वती को ‘काली’ कह दिया जिसके कारण माँ क्रोधित होकर वहां से चली गयी तथा वन में जाकर कठोर तपस्या करने लगी। वन में माँ को खाने के लिए एक भूखा शेर भी आ गया लेकिन माँ को तपस्या करते हुए देखकर चुपचाप वही बैठ गया।शेर भी तपस्या में इतना लीन हो गया की माँ तथा शेर को तपस्या करते हुए कई हजारो साल हो गये। अंत में भगवान् शंकर तपस्या को समाप्त करने के लिए वहां आये और पार्वती को ‘ गौरी ‘होने का वरदान दिया । इसके पश्चात् माँ गंगा स्नान के लिए चली गई उसी समय एक काली रंग की माता उनके शरीर में से प्रकट हुई। जिससे माँ का रंग दुबारा गौरा हो गया । काली देवी को (कौशिकी)नाम से पुकारा जाने लगा। गौरी होने के बाद माँ पार्वती को (महागौरी) नाम से भी जाना जाने लगा। माता ने शेर की प्रतीक्षा को एक तपस्या से कम नहीं समझाऔर उसे वरदान के रूप में अपने वाहन के रूप में स्वीकार किया। जिसके कारण शेर माँ की सवारी बन गया ।नवरात्रि में जौ बोने का कारणजानिये माँ शेर पर ही क्यों विराजमान होती है?बाल वनिता महिला आश्रमधार्मिक मान्यता के अनुसार सबसे पहले धरती पर जौ की फसल उगाई गयी थी। माना जाता है कि अन्न भगवान् ब्रह्मा जी का एक स्वरुप है। नवरात्रि में भी महागौरी के पूजन में भी अन्न का विशेष स्थान है। इसी वजह से काशी में नवगौरी यात्रा में महागौरी के दर्शन अन्नपूर्णा मंदिर में होते है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि माँ पार्वती काशी में महादेव के साथ रही थी।जय माता दी

जानिये माँ शेर पर ही क्यों विराजमान होती है?   By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब भक्तो की रक्षा करने एवं दुष्टो का विनाश करने के लिए माँ दुर्गा शेर पर विराजमान रहती है। माँ दुर्गा बुराइयो पर अच्छाई का प्रतीक है। शेर उग्रता तथा हिंसक प्रवर्ति का प्रतीक है । माँ दुर्गा सिंह पर सवार है जिसका अर्थ है उग्र और हिंसक प्रवर्तियों पर विजय प्राप्त करना ही शक्ति है। अधर्म पर नियंत्रण कर जब हम धर्म की राह पर चलते है तब भगवान् को पाना भी आसान हो जाता है। परमात्मा की शक्ति का प्रतीक देवी है। देवी की शक्ति के बिना तो भगवान् भी अधूरे है।  बाल वनिता महिला आश्रम धार्मिक कथाएं इस कथा के अनुसार एक बार माँ पार्वती ने भगवान् शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की । जिसके कारण माँ का रंग भी काला हो गया। यह तपस्या सफल हुई और माँ पार्वती ने भगवान् शिव को पति के रूप में प्राप्त किया । एक दिन  कैलाश पर्वत पर बैठे हुए भगवान् शिव ने पार्वती को ‘काली’ कह दिया जिसके कारण माँ क्रोधित होकर वहां से चली गयी तथा वन में जाकर कठोर तपस्या करने लगी। वन में माँ को खाने के लिए एक भूखा शेर भ...

Meditation (action) philanthropist vanita kasaniya punjabRead Vanita Punjab in another languagedownloadTake careEditMeditation is an action in which a person moves his mind to a particular state of consciousness.

ध्यान (क्रिया)  समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब वनिता पंजाब किसी अन्य भाषा में पढ़ें डाउनलोड करें ध्यान रखें संपादित करें ध्यान  एक क्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने मन को चेतना की एक विशेष अवस्था में लाने का प्रयत्न करता है। ध्यान का उद्देश्य कोई लाभ प्राप्त करना हो सकता है या ध्यान करना अपने-आप में एक लक्ष्य हो सकता है। 'ध्यान' से अनेकों प्रकार की क्रियाओं का बोध होता है। इसमें मन को विशान्ति देने की सरल तकनीक से लेकर आन्तरिक ऊर्जा या जीवन-शक्ति (की, प्राण आदि) का निर्माण तथा करुणा, प्रेम, धैर्य, उदारता, क्षमा आदि गुणों का विकास आदि सब समाहित हैं। बंगलुरू  में  ध्यान मुद्रा  में भगवान  शिव  की एक प्रतिमा अलग-अलग सन्दर्भों में 'ध्यान' के अलग-अलग अर्थ हैं। ध्यान का प्रयोग विभिन्न धार्मिक क्रियाओं के रूप में अनादि काल से किया जाता रहा है। यौगिक ध्यान संपादित  करें महर्षि  पतंजलि के  योगसूत्र में  ध्यान  भी एक सोपान है। चित्त को एकाग्र करके किसी एक वस्तु पर केन्द्रित कर देना ध्यान कहलाता है। प्राचीन काल में ऋषि मुनि भगवान का ...

‼️आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनं, पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।‼️🦚🌱🍁🍂🌿☘️🌾🦚🚩By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब‼️सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते.⛳🚩‼️देवी पूजि पद कमल तुम्हारे।सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।।⛳‼️बाल वनिता महिला आश्रम🚩🦚🌱🍁🍂🌿☘️🌾🦚🚩 🌹रामचरितमानस में श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी महाराज कहते हैं-नानापुराणनिगमागमसम्मतं यद् ।रचि महेस निज मानस राखा ।पाइ सुसमउ सिवा सन भाषा ।1/34/11संभु प्रसाद सुमति हियँ हुलसी।रामचरितमानस कवि तुलसी।।1/36/1तो यह भोलेनाथ ने लिखी और उन्हीं का प्रसाद है।🌹रामचरितमानस वेदों श्रुतियों और पुराणों का सार है।गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज रामचरितमानस की आरती में भी लिखते हैं-गावत बेद पुरान अष्टदस।छओ सास्त्र सब ग्रंथन को रस।🌹तो आइए हम उसी विश्वास के साथ इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक है और मानस दुर्गा सप्तशती में मात्र 7 चौपाइयों हैं। इनका विधिवत् विश्वास के साथ पाठ करने से वही फल मिलता है, जो दुर्गा सप्तशती के पाठ से मिलता है।🔱⛳मानस दुर्गा सप्तशती⛳🔱🌿जय जय गिरिबर राजकिशोरी। जय महेश मुख चंद्र चकोरी ।।🌿जय गज बदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।🌿नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाव वेद नहिं जाना।।🌿भव भव विभव पराभव कारिनि। विश्व मोहिनि स्वबस बिहारिनि।।🌿पतिदेवता सुतीय महँ मातु प्रथम तव रेख।महिमा अमित न सकहिं कहि सहस शारदा शेष।🌿सेवत तोहि सुलभ फल चारि। बरदायनि त्रिपुरारि पियारी।।🌿देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।।⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳‼️जय माता दी👏🔱⛳‼️‼️प्रभु की कृपा भयउ सब काजू।जन्म हमार सुफल भा आजू।।रामकृपा नासहिं सब रोगा।जो यह भाँति बने संजोगा।।नासे रोग हरै सब पीरा ।जपत निरंतर हनुमत वीरा।।पाहि नाथ मम पाहि गोसाई। यह खल खाइ दुष्ट की नाईं।।जय रघुवंश बनज बन भानू।गहन दनुज कुल दहन कृसानु‼️🔱🌹ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे🌹🔱 🌹या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थित ।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः👏 🚩या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥👏बासिन्तक नवरात्रोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं🌹स्वस्थ रहें, स्वच्छ रहें, सावधानी रखें,!सपरिवार सकुशलता का अभिलाषी!!! 🚩🙏नुतन वर्षाभिनंदन🙏🙏आप सबको सपरिवार नववर्ष विक्रम संवत 2078 की बहुत बहुत शुभकामनाएं... *नुतन वर्षाभिनंदन...* 🙏🚩🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🔱माता शारदा देवी की जय🔱 🚩🙏जय माता दी🙏🚩 🚩जय सियाराम🙏🌹🙏 🚩श्री राम जय राम जय जय राम🚩

‼️आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनं,  पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।‼️ 🦚🌱🍁🍂🌿☘️🌾🦚 🚩 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब ‼️सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते.⛳ 🚩 ‼️देवी पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।।⛳‼️ बाल वनिता महिला आश्रम 🚩🦚🌱🍁🍂🌿☘️🌾🦚🚩     🌹रामचरितमानस में श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी महाराज कहते हैं- नानापुराणनिगमागमसम्मतं यद् । रचि महेस निज मानस राखा । पाइ सुसमउ सिवा सन भाषा ।1/34/11 संभु प्रसाद सुमति हियँ हुलसी। रामचरितमानस कवि तुलसी।।1/36/1 तो यह भोलेनाथ ने लिखी और उन्हीं का प्रसाद है। 🌹रामचरितमानस वेदों श्रुतियों और पुराणों का सार है। गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज रामचरितमानस की आरती में भी लिखते हैं- गावत बेद पुरान अष्टदस। छओ सास्त्र सब ग्रंथन को रस। 🌹तो आइए हम उसी विश्वास के साथ इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक है और मानस दुर्गा सप्तशती में मात्र 7 चौपाइयों हैं। इनका विधिवत् विश्वास के साथ पाठ करने से वही फल मिलता है, जो दुर्गा सप्तशती के पाठ ...

आज 13 अप्रैल पहले नवरात्रे इन राशियों को होंगे कई बड़े फायदे, समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबक्लिक करके पढ़ेतुला राशितुला राशि के जातको के लिए आज का दिन शुभ रहेगा| इनका दोस्तों से संबंध मधुर होंगे| आप धार्मिक स्थल पर जा सकते हैं| अचानक धन लाभ के योग हैं| नया काम शुरू कर सकते है| तुला के लिए समय आपके अनुकूल है|मानसिक स्वास्थ आपके अनुकूल रहेगा| पैसों की तंगी दूर होगी । आपको नौकरी एवं व्यापार से संबंधित कार्यों में विशेष रूप से सफलता प्राप्त होगी। आपको अचानक धन प्राप्त हो सकता है।धनु राशिबाल वनिता महिला आश्रमइस राशि के जातको को आज नौकरी और इंटरव्यू में सफलता मिलेगी|भाग्य आपके साथ रहने वाला है| व्यापार तथा धंधे में प्रगति होने की संभावना है|आप नए कार्य कर सकते है|आपके ऊपर आलस्य की अधिकता रहेगी|जीवनसाथी स्‍वास्थ्‍य विकार से ग्रसित हो सकता है| बिजनेस और नौकरी में नए काम के आइडिया आपको मिल सकते हैं। घर में सुख शांति बनी रहेगी।मकर राशिआज इस राशि वालो का मित्रो के साथ वैचारिक मतभेद हो सकता हैं|आपका मन अशांत रहेगा|आपके दाहिने आंख में तकलीफ होने की संभावना है|कारोबार के सिलसिले में यात्रा पर जा सकते है|नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण रखें| परिवार के सदस्यों के साथ कुछ आराम के पल बिताएँ। इन राशियों को जीवन में परिवर्तन देखने को मिलेगा।

आज 13 अप्रैल पहले नवरात्रे इन राशियों को होंगे कई बड़े फायदे, समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबक्लिक करके पढ़े तुला राशि तुला राशि के जातको के लिए आज का दिन शुभ रहेगा| इनका दोस्तों से संबंध मधुर होंगे| आप धार्मिक स्थल पर जा सकते हैं| अचानक धन लाभ के योग हैं| नया काम शुरू कर सकते है| तुला के लिए समय आपके अनुकूल है|मानसिक स्वास्थ आपके अनुकूल रहेगा|  पैसों की तंगी दूर होगी । आपको नौकरी एवं व्यापार से संबंधित कार्यों में विशेष रूप से सफलता प्राप्त होगी। आपको अचानक धन प्राप्त हो सकता है। धनु राशि बाल वनिता महिला आश्रम इस राशि के जातको को आज नौकरी और इंटरव्यू में सफलता मिलेगी|भाग्य आपके साथ रहने वाला है| व्यापार तथा धंधे में प्रगति होने की संभावना है|आप नए कार्य कर सकते है|आपके ऊपर आलस्य की अधिकता रहेगी|जीवनसाथी स्‍वास्थ्‍य विकार से ग्रसित हो सकता है|    बिजनेस और नौकरी में नए काम के आइडिया आपको मिल सकते हैं। घर में सुख शांति बनी रहेगी। मकर राशि आज इस राशि वालो का मित्रो के साथ वैचारिक मतभेद हो सकता हैं|आपका मन अशांत रहेगा|आपके दाहिने आंख में तकलीफ होने की सं...

Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि का पहला दिन, जानें मां शैलपुत्री की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त  समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबनवरात्र के पहले दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री रूप की आराधना की जाती है। लिहाजा  13 अप्रैल को माता शैलपुत्री का पूजा करना चाहिए। मार्केण्डय पुराण के अनुसार पर्वतराज, यानि शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। साथ ही माता का वाहन बैल होने के कारण इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। मां शैलपुत्री के दो हाथों में से दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। जानिए मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्र। वनिता कासनियां पंजाब चैत्र नवरात्रि 2021: 13 अप्रैल से नवरात्र शुरू, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधिकलश स्थापना का शुभ मुहूर्तआचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, कलश स्थापना का सही समय सुबह 7 बजकर 30 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 30 मिनट तकअभिजित मुहूर्त :  सुबह 11 बजकर 56 मिनट से  दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तकमेष लग्न (चर लग्न): सुबह 6 बजकर 02 मिनट से 7 बजकर 38  मिनट तकवृषभ लग्न (स्थिर लग्न): सुबह 7 बजकर 38 मिनट से 9 बजकर 34 मिनट तकसिंह लग्न (स्थिर लग्न): दोपहर  2 बजकर 7 मिनट से 4 बजकर 25 मिनट तकमां शैलपुत्री पूजा विधिनवरात्र के पहले दिन देवी के शरीर में लेपन के तौर पर लगाने के लिए चंदन और केश धोने के  लिए त्रिफला चढ़ाना चाहिए । त्रिफला बनाने के लिए आंवला, हरड़ और बहेड़ा को पीस कर पाउडर बना लें। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाये रखती हैं।पूजा के दौरान माता शैलपुत्री के मंत्र का जप करना चाहिए | मंत्र है- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:  ऐसा करने से उपासक को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, मोक्ष तथा हर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होती है।  कहा जाता हैं कि आज के दिन माता शैलपुत्री की पूजा करने और उनके मंत्र का जप करने से व्यक्ति का मूलाधार चक्र जाग्रत होता है। अतः माता शैलपुत्री का मंत्रवन्दे वाञ्छित लाभाय चन्द्र अर्धकृत बाल वनिता महिला आश्रमवृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥इस प्रकार माता शैलपुत्री के मंत्र का कम से कम 11 बार जप करने से आपका मूलाधार चक्र तो जाग्रत होगा ही, साथ ही आपके धन-धान्य, ऐश्वर्य और सौभाग्य में वृद्धि होगी और आपको आरोग्य तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होगी।इस दिशा में मुंह करके करें देवी की उपासनादेवी मां की उपासना करते समय अपना मुंह घर की पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करके रखना चाहिए।

Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि का पहला दिन, जानें मां शैलपुत्री की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त  समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब नवरात्र के पहले दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री रूप की आराधना की जाती है। लिहाजा  13 अप्रैल को माता शैलपुत्री का पूजा करना चाहिए। मार्केण्डय पुराण के अनुसार पर्वतराज, यानि शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। साथ ही माता का वाहन बैल होने के कारण इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है।  मां शैलपुत्री के दो हाथों में से दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। जानिए मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्र।  वनिता कासनियां पंजाब चैत्र नवरात्रि 2021: 13 अप्रैल से नवरात्र शुरू, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्तआचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, कलश स्थापना का सही समय सुबह 7 बजकर 30 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 30 मिनट तकअभिजित मुहूर्त :  सुबह 11 बजकर 56 मिनट से  दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तकमेष लग्न (चर लग्न): सुबह 6 बजकर 02 मिनट से 7 बजकर 38  मिनट तकवृषभ लग्न (...

Hearty greetings to all countrymen on the auspicious occasion of Hindu New Year and Chaitra Navratri. With the blessings of Maa Jagadambe, bring new gifts of happiness in the life of all, and the health of the country, corner of the country

समस्त देशवासियों को हिन्दू नववर्ष व चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। मां जगदम्बे के आशीर्वाद से आगामी वर्ष सभी के जीवन में खुशियों की नई सौगात लाएं तथा देश का कोना-कोना स्वास्थ्य, सम्पदा, यश एवं कीर्ति से महकें। नमो नमो मोर्चा भारत परदेशाध्यक्ष श्री मति वनिता कासनियां पंजाब नव संवत्सर, विक्रम संवत-2078 की समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। बाल वनिता महिला आश्रम प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि यह नव वर्ष हम सभी के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, सौभाग्य व नव ऊर्जा के साथ आरोग्यता लाए। सुख, शान्ति एवं समृद्धि की मंगलमय कामनाओं के साथ आपको एवं आपके परिवार कॊ नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें #Vnita मां अम्बे आपको सुख समृद्धि वैभव ख्याति प्रदान करें। 🚩🚩नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं...              💐॥ *जय माता दी*॥💐     नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।🙏💐 #नव_संवत्सर https://www.facebook.com/101621781784017/posts/176888410924020

ਕਾਲੀ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਇਕ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਦੇਵੀ ਹੈ। By Vnita Kasnia Punjabਇਹ ਸੁੰਦਰ ਰੂਪ ਭਗਵਤੀ ਦੁਰਗਾ ਦਾ ਹਨੇਰਾ ਅਤੇ ਡਰਾਉਣਾ ਰੂਪ ਹੈ, ਜੋ ਭੂਤਾਂ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਲਈ ਆਇਆ ਸੀ. ਬੰਗਾਲ , ਓਡੀਸ਼ਾ ਅਤੇ ਅਸਾਮ ਵਿਚ ਉਸ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ 'ਤੇ ਪੂਜਾ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ. ਕਾਲੀ ਸਮੇਂ ਜਾਂ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ , ਜੋ ਹਰ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਘਾਹ ਬਣਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ. ਮਾਂ ਦਾ ਇਹ ਰੂਪ ਉਹ ਹੈ ਜੋ ਵਿਨਾਸ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਰੂਪ ਕੇਵਲ ਉਹਨਾਂ ਲਈ ਹੈ ਜੋ ਬ੍ਰਹਮ ਸੁਭਾਅ ਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਦਇਆ ਨਹੀਂ ਹੈ. ਇਹ ਰੂਪ ਬੁਰਾਈਆਂ ਉੱਤੇ ਚੰਗਾ ਜਿੱਤ ਪਾਉਣ ਵਾਲਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਮਾਂ ਕਾਲੀ ਚੰਗੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ ਵਾਲੀ ਅਤੇ ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਹੈ. ਉਸਨੂੰ ਮਹਾਕਾਲੀ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ.ਕਾਲਾਕਾਲੀ ਦੇਵੀ.ਜੇਪੀਜੀਸਬੰਧ ਮਹਾਵਿਦਿਆ , ਦੇਵੀਰਿਹਾਇਸ਼ ਮੁਰਦਾ ਸਥਾਨਹਥਿਆਰ Khapar ਗਲੈਨਜ਼ - scimitar = Mundmalaਪਤੀ / ਪਤਨੀ ਸ਼ਿਵਸਵਾਰੀ ਮੁਰਦਾ ਸਰੀਰਹੋਰ ਅਰਥਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਬਾਲੀ ਦਾ ਇਕ ਹੋਰ ਅਰਥ ਕਾਲੀ ਹੈ - ਸਿਆਹੀ ਜਾਂ ਸਿਆਹੀਮੁੱਖ ਮੰਤਰਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਸਰਬ-ਵਿਆਪਕ ਸੇਵਕ ਸਰਬ-ਸ਼ਕਤੀਮਾਨ ਹਨ।ਭਯਭ੍ਯਸ੍ਤ੍ਰਾਹਿ ਨ ਦੇਵਿ ਦੁਰ੍ਗਾ ਦੇਵੀ ਨਾਮੋਸ੍ਤੁਤੇ ।। (ਦੁਰ੍ਗਾ ਸਪਤਾਸ਼ਤੀ)ਕਾਲੀ ਨੂੰ ਸ਼ਕਤ ਪਰੰਪਰਾ ਦੇ ਦਸ ਮਹਾਂਵਿਧਿਆਵਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ.ਰਣਚੰਡੀਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਹਿੰਦੂ ਮਿਥਿਹਾਸਕ ਕਥਾ ਅਨੁਸਾਰ ਸ਼ੁੰਭ ਅਤੇ ਨਿਸ਼ੁੰਭ ਦੋ ਭਰਾ ਸਨ, ਮਹਾਰਿਸ਼ੀ ਕਸ਼ਯਪ ਅਤੇ ਦਾਨੂ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਅਤੇ ਨਾਮੁਚੀ ਦੇ ਭਰਾ ਸਨ। ਉਸ ਦੀ ਕਹਾਣੀ ਦੇਵੀ ਮਹਾਤਮਯ ਵਿਚ ਵਰਣਿਤ ਹੈ.ਇੰਦਰ ਨੇ ਇਕ ਵਾਰ ਨਾਮੁਚੀ ਨੂੰ ਮਾਰਿਆ ਸੀ। ਗੁੱਸੇ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਸ਼ੁੰਭ-ਨਿਸ਼ੁੰਭ ਨੇ ਉਸ ਤੋਂ ਇੰਦਰਸਨਾ ਖੋਹ ਲਿਆ ਅਤੇ ਰਾਜ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਇਸ ਦੌਰਾਨ, ਦੁਰਗਾ ਨੇ महिਸ਼ਾਸ਼ੁਰ ਦਾ ਕਤਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਦੋਵੇਂ ਉਸ ਤੋਂ ਬਦਲਾ ਲੈਣ ਲਈ ਦ੍ਰਿੜ ਸਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਦੁਰਗਾ ਦੇ ਸਾਮ੍ਹਣੇ ਇੱਕ ਸ਼ਰਤ ਰੱਖੀ ਕਿ ਉਹ ਜਾਂ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸੇ ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਕਰਾ ਲੈਣ ਜਾਂ ਮਰਨ ਲਈ ਤਿਆਰ ਰਹਿਣ। ਦੁਰਗਾ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਜੋ ਵੀ ਲੜਾਈ ਵਿਚ ਮੈਨੂੰ ਹਰਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਮੈਂ ਉਸ ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਕਰਾਂਗਾ। ਦੋਵਾਂ ਨਾਲ ਲੜਾਈ ਹੋਈ ਅਤੇ ਦੋਵੇਂ ਮਾਰੇ ਗਏ।ਬਾਹਰੀ ਲਿੰਕਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਵਿਕੀਮੀਡੀਆ ਕਾਮਨਜ਼ ਕੋਲ ਕਾਲੀ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਮੀਡੀਆ ਹੈ.ਸ਼੍ਰੀ ਕਾਲੀ ਜੀ ਦੀ ਆਰਤੀBAL VNITA MAHILA Ashramਹਵਾਲੇ

ਕਾਲੀ  ਹਿੰਦੂ  ਧਰਮ ਦੀ  ਇਕ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਦੇਵੀ ਹੈ।  By Vnita Kasnia Punjab ਇਹ ਸੁੰਦਰ ਰੂਪ ਭਗਵਤੀ  ਦੁਰਗਾ  ਦਾ  ਹਨੇਰਾ ਅਤੇ ਡਰਾਉਣਾ ਰੂਪ ਹੈ, ਜੋ ਭੂਤਾਂ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਲਈ ਆਇਆ ਸੀ.  ਬੰਗਾਲ  ,  ਓਡੀਸ਼ਾ  ਅਤੇ  ਅਸਾਮ  ਵਿਚ ਉਸ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ 'ਤੇ ਪੂਜਾ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ. ਕਾਲੀ  ਸਮੇਂ  ਜਾਂ  ਸਮੇਂ  ਤੋਂ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ , ਜੋ ਹਰ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਘਾਹ ਬਣਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ. ਮਾਂ ਦਾ ਇਹ ਰੂਪ ਉਹ ਹੈ ਜੋ ਵਿਨਾਸ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਰੂਪ ਕੇਵਲ ਉਹਨਾਂ ਲਈ ਹੈ ਜੋ ਬ੍ਰਹਮ ਸੁਭਾਅ ਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਦਇਆ ਨਹੀਂ ਹੈ. ਇਹ ਰੂਪ ਬੁਰਾਈਆਂ ਉੱਤੇ ਚੰਗਾ ਜਿੱਤ ਪਾਉਣ ਵਾਲਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਮਾਂ ਕਾਲੀ ਚੰਗੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ ਵਾਲੀ ਅਤੇ ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਹੈ. ਉਸਨੂੰ  ਮਹਾਕਾਲੀ  ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਕਾਲਾ ਸਬੰਧ ਮਹਾਵਿਦਿਆ  ,  ਦੇਵੀ ਰਿਹਾਇਸ਼ ਮੁਰਦਾ ਸਥਾਨ ਹਥਿਆਰ Khapar  ਗਲੈਨਜ਼  - scimitar = Mundmala ਪਤੀ / ਪਤਨੀ ਸ਼ਿਵ ਸਵਾਰੀ ਮੁਰਦਾ ਸਰੀਰ ਹੋਰ ਅਰਥ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋ ਬਾਲੀ  ਦਾ ਇਕ ਹੋਰ ਅਰਥ  ਕਾਲੀ  ਹੈ - ਸਿਆਹੀ ਜਾਂ ਸਿਆਹੀ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋ ਸਰਬ-ਵਿਆਪਕ ਸੇਵਕ ਸਰਬ-ਸ਼ਕਤੀਮਾਨ ਹਨ। ਭਯਭ੍ਯਸ੍ਤ੍ਰਾਹਿ ਨ ...

श्री दुर्गा चालीसा : नमो नमो दुर्गे सुख करनी...By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबयहां सभी पाठकों के लिए प्रस्तुत है पवित्र श्री दुर्गा चालीसा। नवरात्रि के दिनों के अलावा भी दुर्गा चालीसा का नित्य पाठ करने से मां दुर्गा अपने भक्त पर प्रसन्न होती हैं और वे हर तरह के संकट दूर करती हैं। दुर्गा चालीसा नमो नमो दुर्गे सुख करनी।नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी।तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला।नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे।दरश करत जन अति सुख पावे॥ तुम संसार शक्ति लै कीना।पालन हेतु अन्न धन दीना॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला।तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी।तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥ रूप सरस्वती को तुम धारा।दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।परगट भई फाड़कर खम्बा॥ रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।श्री नारायण अंग समाहीं॥ क्षीरसिन्धु में करत विलासा।दयासिन्धु दीजै मन आसा॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।महिमा अमित न जात बखानी॥ मातंगी अरु धूमावति माता।भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥ श्री भैरव तारा जग तारिणी।छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥ केहरि वाहन सोह भवानी।लांगुर वीर चलत अगवानी॥ कर में खप्पर खड्ग विराजै।जाको देख काल डर भाजै॥ सोहै अस्त्र और त्रिशूला।जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ नगरकोट में तुम्हीं विराजत।तिहुंलोक में डंका बाजत॥ शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।रक्तबीज शंखन संहारे॥ महिषासुर नृप अति अभिमानी।जेहि अघ भार मही अकुलानी॥ रूप कराल कालिका धारा।सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ परी गाढ़ संतन पर जब जब।भई सहाय मातु तुम तब तब॥ अमरपुरी अरु बासव लोका।तब महिमा सब रहें अशोका॥ ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥ प्रेम भक्ति से जो यश गावें।दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥ जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ शंकर आचारज तप कीनो।काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥ निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥ शक्ति रूप का मरम न पायो।शक्ति गई तब मन पछितायो॥ शरणागत हुई कीर्ति बखानी।जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥ मोको मातु कष्ट अति घेरो।तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ आशा तृष्णा निपट सतावें।रिपू मुरख मौही डरपावे॥ शत्रु नाश कीजै महारानी।सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥ करो कृपा हे मातु दयाला।ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला। जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥ दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।सब सुख भोग परमपद पावै॥ देवीदास शरण निज जानी।करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥ ॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

श्री दुर्गा चालीसा : नमो नमो दुर्गे सुख करनी... By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब यहां सभी पाठकों के लिए प्रस्तुत है पवित्र श्री दुर्गा चालीसा। नवरात्रि के दिनों के अलावा भी दुर्गा चालीसा का नित्य पाठ करने से मां दुर्गा अपने भक्त पर प्रसन्न होती हैं और वे हर तरह के संकट दूर करती हैं।    दुर्गा चालीसा   नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥   निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥   शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥   रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥   तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥   अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥   प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥   शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥   रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥   धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥   रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥   लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं...
पौराणिक मान्यता अनुसार बैकुंठ किसे कहते हैं? बाल वनिता महिला आश्रम वैकुंठ लोक एक ग्रह है जहां इस ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाले भगवान विष्णु निवास करते हैं। वैकुंठ धाम भक्तों के लिए अंतिम यात्रा पड़ाव है। सभी उच्च कोटि की पुण्यात्माओं को वैकुंठ धाम में रहने का अवसर मिलता है। वैकुंठ लोक मकर राशि की दिशा में सत्यलोक से 2 करोड़ 62 लाख योजन ऊपर स्थित है। यह वैकुंठ धाम ना तो सूर्य से और ना ही चंद्र से प्रकाशित होता है। इसकी देखभाल करने के लिए भगवान के 96 करोड़ पार्षद तैनात हैं। सभी पार्षद भगवान की तरह ही चतुर्भुज आकार में रहते हैं। इस परमधाम में प्रवेश करने से पहले जीवात्मा विरजा नदी में स्नान करता है और चतुर्भुज रुप प्राप्त करता है। इस वैकुंठ धाम में श्रीविष्णु श्रीदेवी, भूदेवी, नीला देवी और महालक्ष्मी के साथ निवास करते हैं। वैकुंठ पहुंचने का रास्ता- जब जीवात्मा वैकुंठ की ओर महाप्रस्थान करती है जब उसको विदा करने के लिए समय के देवता, प्रहर के देवता, मास के देवता, अतल, सुतल , पाताल के देवता, सभी 33 कोटि के देवता उस जीवात्मा को वैकुंठ जाने से रोकते हैं या पुनः किसी योनि में भेजने का प्रयास ...

आओ अपना नववर्ष मनाएं समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबबाल वनिता महिला आश्रमआओ हम सब मिलकर अपना नववर्ष मनाएं।घर घर हम सब मिलकर नई बंदनवार लगाए।करे संचारित नई उमंग घर घर सब हम,फहराए धर्म पताका अपने घर घर हम।करे बहिष्कार पाश्चातय सभ्यता का हम,अपनी सभ्यता को आज से अपनाए हम।आओ सब मिलकर नववर्ष का दीप जलाएआओ हम सब मिलकर अपना नववर्ष मनाए,घर घर हम सब मिलकर नई बंदनवार लगाए।।क्या कारण है हम अपना नववर्ष नहीं मनाते है, By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबकेवल पाश्चातय सभ्यता का हम नववर्ष मनाते है।रंग जाते है नई सभ्यता मे भूल गए अपने को।रहे गुलाम अंग्रेजो के भूल गए अपने सपनों को।आओ सब मिलकर इस सभ्यता की होली जलाए,करे बहिष्कार इन सबका अपना नववर्ष मनाए।आओ घर घर नववर्ष का हम सब दीप जलाएं।।

आओ अपना नववर्ष मनाएं  समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब बाल वनिता महिला आश्रम आओ हम सब मिलकर अपना नववर्ष मनाएं। घर घर हम सब मिलकर नई बंदनवार लगाए। करे संचारित नई उमंग घर घर सब हम, फहराए धर्म पताका अपने घर घर हम। करे बहिष्कार पाश्चातय सभ्यता का हम, अपनी सभ्यता को आज से अपनाए हम। आओ सब मिलकर नववर्ष का दीप जलाए आओ हम सब मिलकर अपना नववर्ष मनाए, घर घर हम सब मिलकर नई बंदनवार लगाए।।क्या कारण है हम अपना नववर्ष नहीं मनाते है, By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब केवल पाश्चातय सभ्यता का हम नववर्ष मनाते है। रंग जाते है नई सभ्यता मे भूल गए अपने को। रहे गुलाम अंग्रेजो के भूल गए अपने सपनों को। आओ सब मिलकर इस सभ्यता की होली जलाए, करे बहिष्कार इन सबका अपना नववर्ष मनाए। आओ घर घर नववर्ष का हम सब दीप जलाएं।।

श्री दुर्गा कवचBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबश्री दुर्गा कवचऋषि मार्कंड़य ने पूछा जभी !दया करके ब्रह्माजी बोले तभी !!के जो गुप्त मंत्र है संसार में !हैं सब शक्तियां जिसके अधिकार में !!हर इक का कर सकता जो उपकार है !जिसे जपने से बेडा ही पार है !!पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का !जो हर काम पूरे करे सवाल का !!सुनो मार्कंड़य मैं समझाता हूँ !मैं नवदुर्गा के नाम बतलाता हूँ !!कवच की मैं सुन्दर चोपाई बना !जो अत्यंत हैं गुप्त देयुं बता !!नव दुर्गा का कवच यह, पढे जो मन चित लाये !उस पे किसी प्रकार का, कभी कष्ट न आये !!कहो जय जय जय महारानी की !जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!पहली शैलपुत्री कहलावे !दूसरी ब्रह्मचरिणी मन भावे !!तीसरी चंद्रघंटा शुभ नाम !चौथी कुश्मांड़ा सुखधाम !!पांचवी देवी अस्कंद माता !छटी कात्यायनी विख्याता !!सातवी कालरात्रि महामाया !आठवी महागौरी जग जाया !!नौवी सिद्धिरात्रि जग जाने !नव दुर्गा के नाम बखाने !!महासंकट में बन में रण में !रुप होई उपजे निज तन में !!महाविपत्ति में व्योवहार में !मान चाहे जो राज दरबार में !!शक्ति कवच को सुने सुनाये !मन कामना सिद्धी नर पाए !!चामुंडा है प्रेत पर, वैष्णवी गरुड़ सवार !बैल चढी महेश्वरी, हाथ लिए हथियार !!कहो जय जय जय महारानी की !जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!हंस सवारी वारही की !मोर चढी दुर्गा कुमारी !!लक्ष्मी देवी कमल असीना !ब्रह्मी हंस चढी ले वीणा !!ईश्वरी सदा बैल सवारी !भक्तन की करती रखवारी !!शंख चक्र शक्ति त्रिशुला !हल मूसल कर कमल के फ़ूला !!दैत्य नाश करने के कारन !रुप अनेक किन्हें धारण !!बार बार मैं सीस नवाऊं !जगदम्बे के गुण को गाऊँ !!कष्ट निवारण बलशाली माँ !दुष्ट संहारण महाकाली माँ !!कोटी कोटी माता प्रणाम !पूरण की जो मेरे काम !!दया करो बलशालिनी, दास के कष्ट मिटाओ !चमन की रक्षा को सदा, सिंह चढी माँ आओ !!कहो जय जय जय महारानी की !जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!अग्नि से अग्नि देवता !पूरब दिशा में येंदरी !!दक्षिण में वाराही मेरी !नैविधी में खडग धारिणी !!वायु से माँ मृग वाहिनी !पश्चिम में देवी वारुणी !!उत्तर में माँ कौमारी जी!ईशान में शूल धारिणी !!ब्रहामानी माता अर्श पर !माँ वैष्णवी इस फर्श पर !!चामुंडा दसों दिशाओं में, हर कष्ट तुम मेरा हरो !संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!सन्मुख मेरे देवी जया !पाछे हो माता विजैया !!अजीता खड़ी बाएं मेरे !अपराजिता दायें मेरे !!नवज्योतिनी माँ शिवांगी !माँ उमा देवी सिर की ही !!मालाधारी ललाट की, और भ्रुकुटी कि यशर्वथिनी !भ्रुकुटी के मध्य त्रेनेत्रायम् घंटा दोनो नासिका !!काली कपोलों की कर्ण, मूलों की माता शंकरी !नासिका में अंश अपना, माँ सुगंधा तुम धरो !!संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!ऊपर वाणी के होठों की !माँ चन्द्रकी अमृत करी !!जीभा की माता सरस्वती !दांतों की कुमारी सती !!इस कठ की माँ चंदिका !और चित्रघंटा घंटी की !!कामाक्षी माँ ढ़ोढ़ी की !माँ मंगला इस बनी की !!ग्रीवा की भद्रकाली माँ !रक्षा करे बलशाली माँ !!दोनो भुजाओं की मेरे, रक्षा करे धनु धारनी !दो हाथों के सब अंगों की, रक्षा करे जग तारनी !!शुलेश्वरी, कुलेश्वरी, महादेवी शोक विनाशानी !जंघा स्तनों और कन्धों की, रक्षा करे जग वासिनी !!हृदय उदार और नाभि की, कटी भाग के सब अंग की !गुम्हेश्वरी माँ पूतना, जग जननी श्यामा रंग की !!घुटनों जन्घाओं की करे, रक्षा वो विंध्यवासिनी !टकखनों व पावों की करे, रक्षा वो शिव की दासनी !!रक्त मांस और हड्डियों से, जो बना शरीर !आतों और पित वात में, भरा अग्न और नीर !!बल बुद्धि अंहकार और, प्राण ओ पाप समान !सत रज तम के गुणों में, फँसी है यह जान !!धार अनेकों रुप ही, रक्षा करियो आन !तेरी कृपा से ही माँ, चमन का है कल्याण !!आयु यश और कीर्ति धन, सम्पति परिवार !ब्रह्मणी और लक्ष्मी, पार्वती जग तार !!विद्या दे माँ सरस्वती, सब सुखों की मूल !दुष्टों से रक्षा करो, हाथ लिए त्रिशूल !!भैरवी मेरी भार्या की, रक्षा करो हमेश !मान राज दरबार में, देवें सदा नरेश !!यात्रा में दुःख कोई न, मेरे सिर पर आये !कवच तुम्हारा हर जगह, मेरी करे सहाए !!है जग जननी कर दया, इतना दो वरदान !लिखा तुम्हारा कवच यह, पढे जो निश्चय मान !!मन वांछित फल पाए वो, मंगल मोड़ बसाए !कवच तुम्हारा पढ़ते ही, नवनिधि घर मे आये !!ब्रह्माजी बोले सुनो मार्कंड़य !यह दुर्गा कवच मैंने तुमको सुनाया !!रहा आज तक था गुप्त भेद सारा !जगत की भलाई को मैंने बताया !!सभी शक्तियां जग की करके एकत्रित !है मिट्टी की देह को इसे जो पहनाया !!चमन जिसने श्रद्धा से इसको पढ़ा जो !सुना तो भी मुह माँगा वरदान पाया !!जो संसार में अपने मंगल को चाहे !तो हरदम कवच यही गाता चला जा !!बियाबान जंगल दिशाओं दशों में !तू शक्ति की जय जय मनाता चला जा !!तू जल में तू थल में तू अग्नि पवन में !कवच पहन कर मुस्कुराता चला जा !!निडर हो विचर मन जहाँ तेरा चाहे !चमन पाव आगे बढ़ता चला जा !!तेरा मान धन धान्य इससे बढेगा !तू श्रद्धा से दुर्गा कवच को जो गाए !!यही मंत्र यन्त्र यही तंत्र तेरा !यही तेरे सिर से हर संकट हटायें !!यही भूत और प्रेत के भय का नाशक !यही कवच श्रद्धा व भक्ति बढ़ाये !!इसे निसदिन श्रद्धा से पढ़ कर !जो चाहे तो मुह माँगा वरदान पाए !!इस स्तुति के पाठ से पहले कवच पढे !कृपा से आधी भवानी की, बल और बुद्धि बढे !!श्रद्धा से जपता रहे, जगदम्बे का नाम !सुख भोगे संसार में, अंत मुक्ति सुखधाम !!कृपा करो मातेश्वरी, बालक चमन नादाँ !तेरे दर पर आ गिरा, करो मैया कल्याण !!बाल वनिता महिला आश्रम!! जय माता दी !!

श्री दुर्गा कवच By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब श्री  दुर्गा कवच ऋषि मार्कंड़य ने पूछा जभी ! दया करके ब्रह्माजी बोले तभी !! के जो गुप्त मंत्र है संसार में ! हैं सब शक्तियां जिसके अधिकार में !! हर इक का कर सकता जो उपकार है ! जिसे जपने से बेडा ही पार है !! पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का ! जो हर काम पूरे करे सवाल का !! सुनो मार्कंड़य मैं समझाता हूँ ! मैं नवदुर्गा के नाम बतलाता हूँ !! कवच की मैं सुन्दर चोपाई बना ! जो अत्यंत हैं गुप्त देयुं बता !! नव दुर्गा का कवच यह, पढे जो मन चित लाये ! उस पे किसी प्रकार का, कभी कष्ट न आये !! कहो जय जय जय महारानी की ! जय दुर्गा अष्ट भवानी की !! पहली शैलपुत्री कहलावे ! दूसरी ब्रह्मचरिणी मन भावे !! तीसरी चंद्रघंटा शुभ नाम ! चौथी कुश्मांड़ा सुखधाम !! पांचवी देवी अस्कंद माता ! छटी कात्यायनी विख्याता !! सातवी कालरात्रि महामाया ! आठवी महागौरी जग जाया !! नौवी सिद्धिरात्रि जग जाने ! नव दुर्गा के नाम बखाने !! महासंकट में बन में रण में ! रुप होई उपजे निज तन में !! महाविपत्ति में व्योवहार में ! मान चाहे जो राज दरबार में !! शक्ति कवच को सुने सुनाये ! मन...

🌺माँ भक्तों के हृदय को जान लेती हैं,🌺By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌻 भक्तों के मन को पहचान लेती हैं🌻🏵️माँ इस दुनिया के कण-कण में है 🏵️ 🥀माँ सबके कर्मों का फल देती हैं🥀🌹🌹🌹🌹🌹जय मां सरस्वती 🌷🌷🌷🌷🌷🥀🥀🥀🥀🥀जय माता दी 💐💐💐💐💐💐

🌺माँ भक्तों के हृदय को जान लेती हैं,🌺 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब          🌻 भक्तों के मन को पहचान लेती हैं🌻 🏵️माँ इस दुनिया के कण-कण में है 🏵️                🥀माँ सबके कर्मों का फल देती हैं🥀 🌹🌹🌹🌹🌹जय मां सरस्वती 🌷🌷🌷🌷🌷 🥀🥀🥀🥀🥀जय माता दी 💐💐💐💐💐💐